शिक्षा का मानव जीवन में विषेष महत्व है। शिक्षा ही तो है जो मानव को यथार्थ रूप से मानव बनाती है और इस संसार का अभिन्न अंग बनने के लिए तैयार करती है। यह प्रत्येक मानव के अंदर छुपे गुणों को निखारकर बाहर लेकर आती है। मानव शिक्षा ग्रहण करके ही संसार में बदलाव को संभव बनाता है तथा नये आयाम स्थापित करता है। शिक्षा से मानव के व्यक्तित्व में अनेकों गुणों जैसे सदाचार, उदारता, सत्यता, विनम्रता, आदि का उदगार होता है। सही शिक्षा से मानवीय गरिमा, स्वाभिमान और विष्व बंधुत्व में बढ़ोतरी होती है।
मनुष्य जीवन की सबसे अधिक मधुर तथा सुनहरी अवस्था विद्यार्थी जीवन ही होती है। विद्यार्थी जीवन ही सारे जीवन की नींव मानी जाती है, जिसका निर्माण अध्यापक रूपी कारीगर करता है। एक प्रयत्नषील व चतुर कारीगर ही नींव का निर्माण इस प्रकार करता है, जिससे कि मकान धूप-छांव, आँधी, पानी और भूकंप के वेग को सह सके, ठीक इसी प्रकार एक बुद्धिमान शिक्षक अपने विद्यार्थीयों को इस प्रकार से तैयार करता है जिससे कि वो चरित्रवान, उदार, सत्य तथा पुरूषार्थ के मार्ग पर चलकर जीवन की कठिनाईयों को झेल सके तथा उन पर विजय प्राप्त कर सके और समाज को नई दिषा दे सके। अध्यापक शिक्षा का केन्द्र होता है जो अपने विद्यार्थीयों को शिक्षा के माध्यम से जीवन व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा देता है।
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता
संरक्षक